हॉस्टल जलकर हुआ खाक, बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला
आग बुझाने के लिए ली जा रही सेना की मदद
विजिबिलिटी कम होने के कारण हेलीकॉप्टर से आग बुझाने में हो रही परेशानी
श्रीनगर। उत्तराखंड में वनाग्नि का तांडव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जंगलों में लगी आग को शांत करने में वन विभाग और प्रशासन से पसीने छूट रहे है। यहीं कारण है कि अब फिर से वन विभाग को गढ़वाल के जंगलों में लगी आग को शांत करने के लिए वायुसेना की मदद लेनी पड़ रही है, लेकिन समस्या ये है कि आग के कारण आसमान में धुआं ही धुआं छाया है, जिस कारण विजिबिलिटी काफी कम हो गई है। इसीलिए वायुसेना को एमआई-17 हेलीकॉप्टर उड़ाने में दिक्कत हो रही है।
अधिकारियों की माने तो धुए का गुब्बार हटते ही वायुसेना एमआई-17 हेलीकॉप्टर से अपना मिशन शुरू करेगी। वायुसेना ने देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड से दो बार उड़ान भरी थी। लेकिन विजिबिलिटी कम होने के कारण दोनों बार हेलीकॉप्टर वापस सहस्त्रधारा हेलीपैड आ गया। बताया जा रहा है कि वायुसेना दो से तीन दिनों तक पौड़ी जिले में आग बुझाने का काम करेगी।
शासन और प्रशासन की चिंता ये है कि पौड़ी के जंगलो में लगी आग अब धीरे-धीरे शहरी क्षेत्र तक पहुंच रही है। पौड़ी इंडोर स्टेडियम के हॉस्टल तक आग पहुंच गई थी, जिससे हॉस्टल और आसपास के इलाकों में अफरा-तफरी का माहौल हो गया था। स्थानीय लोग और कर्मचारियों की सूझबूझ किसी तरह बच्चों को सुरक्षित हॉस्टल से बाहर निकल गया।
स्थानीय लोगों ने तत्काल इसकी इसकी सूचना फायर को दी। मौके पर पहुंची फायर की टीम ने आग में काबू पाया। हालांकि तब तक हॉस्टल में रखा सारा सामान जलकर खाक हो गया था। छात्रों ने पौड़ी जिलाधिकारी से मदद की गुहार लगाई है।
पौडी के अलावा वानाग्नि का कहर श्रीनगर से लेकर चौरास तक देखने को मिल रहा है। श्रीनगर में बुधानी रोड से लेकर खि़रसू तक जगह जगह जंगल जल रहे है। पौड़ी जिले में इस साल वानाग्नि के 91 मामले सामने आए है। इसी के साथ जिला प्रशासन ने एक सप्ताह तक कुडा पराली जलाने पर भी रोक लगा दी है।