अब बद्रीनाथ का इंतजार
देहरादून। भारतीय सेना के बैंड के भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इसके अलावा यमुनोत्री धाम स्थित यमुना के कपाट भी वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। अब बाबा के शीतकालीन दर्शन ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर और यमुना के दर्शन खरसाली में होंगे।
केदारनाथ में कपाट बंद होने के मौके पर आज ढाई हजार तीर्थयात्री साक्षी बने। बर्फ की चादर औढ़े संपूर्ण केदारनाथ धाम में कपाट बंद होने की बेला अद्भुत रही। इससे पहले कपाट बंद होने के अवसर पर केदारनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने केदारनाथ यात्रा के सफल समापन पर बधाई दी और सभी का आभार जताया है। आज कपाट बंद होने के दिन असम के मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी रिनिकी भुयान शर्मा एवं परिजन कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद रहे।
भैयादूज पर बंद हुए मां यमुना और बाबा के द्वार
शीतलहर तथा बर्फ के बीच मां यमुना और श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज भैयादूज पर बंद हुए। यमुनोत्री में मां यमुना के कपाट बंद होने से पहले शनि देव की डोली खरसाली से रवाना हुई। इनके अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी शनि देव की डोली के साथ यमुनोत्री धाम पहुंची। जहां भैया दूज पर यमुना स्नान के बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कपाट बंद हुए। इधर, बाबा केदारनाथ के कपाट बुधवार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया, वृश्चिक राशि, ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ अवसर पर प्रात: साढ़े आठ बजे विधि- विधान से शीतकाल हेतु बंद हो गये। आजकल श्री केदारनाथ क्षेत्र बर्फ की चादर ओढ़े है आधा फीट तक बर्फ मौजूद है आज कपाट बंद के के समय मौसम साफ रहा।
मंदिर को फूलों से सजाया
कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया था और ढाई हजार से अधिक तीर्थयात्री कपाट बंद होने के गवाह बने इस दौरान सेना के भक्तिमय धुनों के साथ जय श्री केदार तथा ऊं नम् शिवाय के उदघोष से केदारनाथ गूंज उठा।
पंचमुखी डोली के साथ उमड़ पड़े श्रद्धालु
कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली हजारों तीर्थयात्रियों के साथ सेना के बैंड बाजों के साथ पैदल प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान हुई। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय मंगलवार को कपाट बंद की तैयारियों हेतु श्री केदारनाथ पहुंच गये थे। इस अवसर पर उनके साथ असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व शर्मा की धर्मपत्नी मीडिया दिग्गज रिनिकी भुयान शर्मा तथा परिजन भी कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद रहे। यह सभी अतिथि मंगलवार को ही केदारनाथ धाम पहुंच गये थे।
पीएम और सीएम का जताया आभार
कपाट बंद होने के अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में श्री केदारनाथ यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हो रहा है इस यात्रावर्ष साढ़े उन्नीस लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये। उन्होंने यात्रा से जुड़े सभी संस्थानों को भी बधाई दी।
19 लाख 57 हजार यात्री पहुंचे
बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि केदारनाथ धाम में कपाट खुलने की तिथि से मंगलवार 14 नवंबर रात्रि तक 19 लाख 57 हजार 850 (उन्नीस लाख सत्तावन हजार आठ सौ पचास ) तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये।
ब्रह्म कमल, कुमजा,राख से दिया समाधि रूप
आज ब्रह्ममुहुर्त में श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट खुल गये। मंदिर में नित्य नियम पूजा- अर्चना तथा दर्शन हुए तत्पश्चात कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत स्वयंभू शिवलिंग से श्रृंगार अलग कर केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग की उपस्थिति में पुजारी शिवलिंग ने स्थानीय शुष्क पुष्पों, ब्रह्म कमल, कुमजा,राख से समाधि रूप दिया गया। इस दौरान श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय पूरे समय मौजूद रहे। साथ ही जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के अधिकारीगण, मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, तीर्थपुरोहित समाज के पदाधिकारी मौजूद रहे। ठीक साढ़े छ: बजे मंदिर गर्भ गृह में समाधि पूजा समापन की गयी तत्पश्चात मंदिर के अंदर सभामंडप में स्थित छोटे मंदिरों को भी बंद किया गया इसके बाद ठीक साढ़े आठ बजे केदारनाथ मंदिर के दक्षिण द्वार को बंद कर दिया गया तथा उसके तुरंत बाद पूरब द्वार को भी बंद किया गया।
17 को ऊखीमठ में विराजमान होंगे बाबा
इस अवसर पर भारतीय सेना, आईटीबीपी तथा दानीदाताओं ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किये थे। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि कपाट बंद होने के बाद आज श्री केदारनाथ भगवान की पंचमुखी डोली पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 16 नवंबर को पंचमुखी डोली गुप्तकाशी पहुंचेगी। 17 नवंबर शुक्रवार को भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी मूर्ति शीतकालीन पूजा स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी।इसके पश्चात शीतकालीन पूजास्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में श्री केदारनाथ भगवान की शीतकालीन पूजा शुरू हो जायेगी।