पौड़ी लोकसभा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे
देहरादून। लोकसभा चुनाव में भाजपा के चार सौ पार के नारे को लगता है कांग्रेसी भी साकार करने में जुट गए हैं। कांग्रेस छोड़कर जाने वाले वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की लंबी सूची बन गई है। ताजा मामले में पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंड़ूडी ने भी कांग्रेस छोड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने फेस बुक के हैंडिल से इसकी जानकारी सार्वजनिक की। हालांकि यह नहीं बताया कि वे किस पार्टी का दामन थामेंगे।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा चार सौ पार के आंकड़े के लिए जोर शोर से तैयारी कर रही है, उससे कांग्रेस ही नहीं अन्य दल भी सदमे में दिख रहे हें। कांग्रेस समेत अन्य दलों के नेताओं कोे भी लगता है कि मोदी के लोकसभा चुनाव में मोदी का मुकाबला करना आसान नहीं है। फिर जिस तरह से देश भर में कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं उसने भी कांग्रेस को पूरी तरह से जमीन पर ला दिया है। यहां तक कि इंडी गठबंधन भी दम तोड़ता दिख रहा है।
उत्तराखंड की बात करें तो यहां भाजपा से मुकाबले में कांग्रेस ही प्रमुख पार्टी मानी जाती है। हालांकि विधानसभा चुनाव में इस बार बसपा ने भी कुछ सीटें हासिल कर अपना वोट वैंक वापस लाने की कोशिश की थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में वह कहीं दिखेगी, इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव में लगातार भाजपा ने पांचों सीटे जीती। इस बार वह जीत का हैट्रिक लगाएगी, इससे कोई इन्कार नहीं कर रहा है। ऐसे में कांग्रेस छोड़ने वाले कार्यकर्ताओं की कतार लग रही है।
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें पौड़ी संसदीय सीट से मैदान में उतारा था। लेकिन मोदी की आंधी में उनका राजनीतिक कैरियर वहीं दम तोड़ गया। अब मनीष अपना राजनीतिक कैरियर किस दल में तलाशेंगे, यह कहना मुश्किल है। लेकिन उनकी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की चर्चाए हैं। हालांकि भाजपा उन्हें कहां एडजस्ट करेगी, यह कह पाना काफी मुश्किल है। मनीष खंडूड़ी के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का इतना ही कहना है कि उनका जनता में कोई आधार नहीं है। न हीं वे पार्टी में सक्रिय थे। इसलिए उनके कांग्रेस छोड़ने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता। वैसे भी इस लोकसभा चुनाव में पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को पौड़ी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी है। ऐसे में मनीष ने कांग्रेस छोड़ने में ही अपनी भलाई समझी।