जमरानी बांध खत्म करेगा यूपी व उत्तराखंड की पेयजल समस्याः धामी

मुख्यमंत्री ने पीसी कर पीएम मोदी का जताया आभार

जमरानी बांध परियोजना 1975 से स्वीकृति के चलते अटकी हुई थी

परियोजना के तहत हर साल 42 एमसीएम पेयजल की सुविधा मिलेगी

देहरादून। केंद्र सरकार ने जमरानी बांध निर्माण को लेकर मंजूरी दे दी है। जिसके बाद आज सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रेस वार्ता आयोजित की है। इसी बीच उन्होंने कहा कि जमरानी बांध निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सिंचाई और पेयजल की समस्या खत्म होगी। साथ ही दोनों राज्यों के कई गांव रोशनी से जगमग होंगे।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जमरानी बांध परियोजना 1975 से स्वीकृति के चलते अटकी हुई थी। इस परियोजना के लिए जल शक्ति मंत्रालय समेत पीएम से भी अनुरोध किया गया था। जिसके बाद इस परियोजना की राह खुली। उन्होंने कहा कि जमरानी बांध परियोजना निर्माण की कुल लागत में से 90 फीसदी हिस्से के रूप में भारत सरकार ने 1730.20 करोड़ की स्वीकृति पीएमकेएसवाई के तहत दे दी है।
10 फीसदी हिस्सा उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच पहले हो चुके एमओयू के तहत वहन किया जाएगा। इस परियोजना के तहत हर साल 42 एमसीएम पेयजल की सुविधा मिलेगी। साथ ही 63 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि पीएम जब भी उत्तराखंड आते हैं, तो उत्तराखंड वासियों के लिए एक उत्सव जैसा होता है।

हेमकुंड साहिब और केदारनाथ रोपवे का काम होगा शुरू

देहरादून। सीएम ने कहा कि 2 दिसंबर 2021 को जब पीएम उत्तराखंड आए थे, उस दौरान लखवाड़ योजना के लिए अनुरोध किया गया था। जिसके बाद 30 दिसंबर को इस परियोजना को भी मंजूरी मिल गई थी। उन्होंने कहा कि तमाम योजनाएं जो लटकी हुई थीं, पीएम मोदी के नेतृत्व में उनको मंजूरी मिली है। साथ ही हल्द्वानी को स्मार्ट सिटी के रूप में बनाने के लिए 1600 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली है। हेमकुंड साहिब और केदारनाथ रोपवे का काम भी जल्द शुरू हो जाएगा।

डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि होगी संचित

देहरादून। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बांध परियोजना के निर्माण का रास्ता साफ होने से हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई की समस्या दूर हो जायेगी। आपको बता दे कि काठगोदाम से 10 किमी अपस्ट्रीम में गौला नदी पर जमरानी बांध जिसकी ऊंचाई 150.60 मीटर का निर्माण प्रस्तावित है परियोजना के निर्माण हो जाने से लगभग 1,50,000 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा साथ ही हल्द्वानी शहर को वार्षिक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराए जाने और 63 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन का प्रावधान है। इसके साथ ही इस परियोजना से तकरीबन 1300 परिवारों का विस्थापन भी किया जाना है।

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