फरार आरोपी के पिता को पुलिस ने दबोचा , अब तक तीन करोड़ आठ लाख रुपए बरामद
यूके न्यूज़ एजेंसी
देहरादून। रायपुर थाना क्षेत्र में करोडों की चोरी के मामले में दून पुलिस को एक और सफलता मिली है। फरार आरोपी के पिता को रायपुर पुलिस ने यूपी के बड़ौत से चोरी के अड़तालीस लाख रुपयों के साथ गिरफ्तार किया है।
पुलिस अधीक्षक नगर सरिता डोभाल ने बताया कि मीनू गोयल निवासी न्यू डिफेन्स कालोनी विश्वनाथ एन्क्लेव रायपुर घर से रूपये व ज्वैलरी चोरी होने का मुकदमा दर्ज कराया था। रायपुर थानाध्यक्ष कुंदन राम के नेतृत्व में पुलिस टीमें गठित की गयी थी। पुलिस टीम ने सन्नी को विश्वनाथ इन्क्लेव सहस्त्रधारा रोड़ से गिरफ्तार किया गया था, जिसकी निशानदेही पर चोरी किए गए दो करोड़ साठ लाख रुपये, 2 ट्राली बैग एवं 2 वाहन बरामद किए गए थे। पूछताछ पर आरोपी सन्नी ने बताया था कि उसके साथ घटना को अंजाम देने में उसका एक अन्य साथी धीरज निवासी वाजिदपुर थाना बड़ौत यूपी भी शामिल था, जिसे उसने तीसरा रुपयो का बैग दिया था। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसएसआई नवीन जोशी एक अन्य टीम को जनपद बड़ौत रवाना किया गया। पुलिस टीम ने फरार आरोपी धीरज के घर व अन्य संभावित जगहों पर दबिश दी, परन्तु वांछित धीरज फरार मिला। पुलिस टीम को सूचना मिली कि आरोपी के पिता भूदेव चोरी किए गए रुपयो में से भारी धनराशी को गांव में ही छिपाने की फिराक में है। जिसके पश्चात् से ही पुलिस टीम की ओर से लगातार आरोपी के पिता व अन्य परिवार की निगरानी करनी शुरु कर दी, जिसके चलते आरोपी धीरज के पिता भूदेव को उनके गांव वाजिदपुर बड़ौत में उन्ही की ट्यूबेल के पास से गिरफ्तार किया गया। जिनके कब्जे से चोरी की भारी धनराशी कुल अठतालीस लाख रुपये एक सफेद कट्टे से बरामद किए गए।
आरोपी भूदेव से पूछताछ करने पर बताया कि मेरा छोटा पुत्र धीरज करीब 7-8 वर्ष पूर्व देहरादून में भी रह चुका है, जहां उसका एक दोस्त सन्नी रहता है। वे दोनों आपस में मिलकर डंपर एंव बिल्डिंग मैटिरियल का काम करते थे। वह कुछ दिन पूर्व इलाहबाद मजदूर लेने के नाम से घर आया था और अगले ही दिन बिना कुछ बताए घर से चले गया था। जब मुझे जानकारी मिली की मेरे पुत्र धीरज को पुलिस ढूंढ रही है तो मै अपने बेटे नीरज के पास नरेला दिल्ली गया, जहां नीरज से मुझे पता चला कि मेरे बेटे धीरज ने देहरादून में अपने दोस्त सन्नी के साथ मिलकर बहुत बड़ी करोड़ो रुपये की चोरी कर रखी है। जिस पर मैने धीरज से बात की और हमने मिलकर तय किया कि चोरी किए गए रुपये को ठिकाने लगा देते है। अड़तालीस लाख रुपए मैने एक सफेद प्लास्टिक के कट्टे में लेकर अपने गांव की ओर चला तथा शेष रुपयो को धीरज अपने साथ ले गया है। जिसे गांव आने के बाद मैने अलग-अलग जगह पर छुपाए रखा।