राज्य के लिए पहली डीएसटी-पर्स लैब की होगी स्थापना….

भारत सरकार ने दून विश्वविद्यालय को किया है चयनित

यूके न्यूज़ एजेंसी

देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से सोमवार को राजभवन में दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने भेंट कर दून विश्वविद्यालय में भारत सरकार की ओर से राज्य के लिए पहली डीएसटी-पर्स लैब की स्थापना के संबंध में जानकारी दी। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर कुलपति सहित विश्वविद्यालय परिवार को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह न केवल दून विश्वविद्यालय के लिए बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य के लिए गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय को डीएसटी-पर्स लैब की स्थापना के लिए चयनित किया गया है।
कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने राज्यपाल को बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने दून विश्वविद्यालय, देहरादून में उत्तराखण्ड राज्य के लिए पहली डीएसटी पर्स (पीयूआरएसइ) लैब स्थापित करने की मंजूरी दी है। डीएसटी द्वारा अभी तक इस प्रतिष्ठित पर्स (पीयूआरएसइः प्रमोशन आफ युनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्ससेलेंस) योजना के तहत अनुदान के लिए उत्तराखण्ड राज्य में किसी भी संस्थान का चयन नहीं किया है। दून विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड राज्य का पहला विश्वविद्यालय बन गया है जिसमें इस प्रतिष्ठित डीएसटी-पर्स लैब की स्थापना की जाएगी। यह पर्स अनुदान इतना प्रतिष्ठित है कि पूरे उत्तर प्रदेश में केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ही प्राप्त करने में सफल रहे हैं। डीएसटी ने अपनी इस योजना के तहत सॉफिस्टिकेटेड इंस्ट्यूमेंटल फैसिलिटीज बनाने के लिए दून विश्वविद्यालय को लगभग 6 करोड़ का अनुदान देने की घोषणा की है। कुलपति ने बताया कि पर्स(पीयूआरएसइ) योजना के तहत भारत सरकार प्रस्ताव आमंत्रित करती है और एक बहुत ही कठोर और प्रतिस्पर्धी माध्यम से विश्वविद्यालयों को अनुदान (ग्रांट) प्रदान करती है। इस योजना के तहत, आवेदक विश्वविद्यालयों को अनुसंधान (रिसर्च) प्रस्ताव, एससीआई जर्नल में प्रकाशित शोध पत्रों, एच इंडेक्स, आई-10 इंडेक्स, रिसर्च क्रेडेंशियल और रिसर्च आउटपुट के संदर्भ में निर्धारित पात्रता मानदंडों के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया जाता है। फरवरी में, भारत के विभिन्न हिस्सों से, लगभग 70 विश्वविद्यालयों ने डीएसटी को अपने प्रस्ताव प्रस्तुत किए। जुलाई में दून विश्वविद्यालय द्वारा गुवाहाटी विश्वविद्यालय, गुवाहाटी में पर्स के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट बोर्ड के समक्ष एक प्रेजेंटेशन दी।

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