पशुओं के साथ हॉकरों पर भी प्रशासन की पैनी नजर

केदारनाथ पैदल मार्ग में घोड़े-खच्चरों की महत्वपूर्ण भूमिका

हर दिन सौ के करीब घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण

यात्रा में अब तक 951 घोड़े-खच्चरों को किया गया ब्लॉक

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग पर संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों साथ ही संचालकों पर जिला प्रशासन की पैनी नजर है। घोड़े-खच्चरों के स्वास्थ्य को लेकर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जबकि नियमों का पालन नहीं करने पर ब्लॉक करने की कार्यवाही भी जारी है। अब तक यात्रा में 951 घोड़े-खच्चरों को ब्लॉक किया गया है, जबकि 3,315 पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण करने के साथ ही 1086 घोड़े-खच्चरों का इलाज भी किया गया है। इसके अलावा नियमों के उल्लंघन पर अब तक छः घोड़े-खच्चर संचालकों पर मुकदमा भी किया जा चुका है। 93 घोड़े-खच्चरों के अनफिट पाये जाने पर यात्रा से बाहर किया गया है। यात्रा मार्ग पर अब तक 32 घोड़े-खच्चरों की मौत भी हो चुकी है।
केदारनाथ धाम यात्रा के सफल एवं सुगम संचालन में घोड़े-खच्चरों की भूमिका अहम है। देश-विदेश से यात्रा पर आने वाले कई श्रद्धालु जो धाम के कठिन पैदल यात्रा मार्ग पर चलने में अक्षम होते हैैं, उनकी यात्रा संपन्न कराने में घोड़े-खच्चर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ इन बेजुबान जानवरों के संरक्षण एवं सुविधाओं का जिम्मा भी जिला प्रशासन के पास है। ऐसे में घोड़े खच्चर एवं संचालकों के लिए शासन के आदेशों के क्रम में सख्त एसओपी तैयार की गई है, जिसका अनुपालन करवाने के लिए पशुपालन विभाग सहित प्रशासन की पूरी मशीनरी 24 घंटे कार्य कर रही है। यात्रा मार्ग पर इस वर्ष करीब 8300 घोड़े-खच्चर पंजीकृत किए गए हैं। घोड़ा-खच्चरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए रोटेशन के आधार पर एक दिन में चार हजार घोड़े-खच्चर ही यात्रा मार्ग पर संचालित किए जा रहे हैं। हर घोड़े को एक दिन का आराम मिलने के बाद दूसरे दिन संचालन की अनुमति है। इसके अलावा केदारनाथ धाम में निर्माण सामग्री पहुंचाने को लेकर एक हजार घोड़े-खच्चर पंजीकृत हैं।

30 टन प्रतिदिन लीद निस्तारण को लेकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट’
रुद्रप्रयाग। घोड़ा-खच्चर संचालन को व्यवस्थित करने के लिए इस वर्ष जिला प्रशासन ने कई नए कदम भी उठाए हैं। यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की लीद से निजात दिलाने के लिए 30 टन प्रतिदिन शोधन की क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जून के तीसरे हफ्ते में संचालित होना शुरू हो जाएगा। वहीं अवैध रूप से घोड़े-खच्चर संचालन पर रोक लगाने के लिए तीन चरण में घोड़े की पहचान की जा रही है। पहले चरण में बीमा के दौरान कान में एयर टैग लगाया जा रहा है। दूसरे चरण में हर घोड़े को एक आरएफ आईडी जारी की जाती है। वहीं इस वर्ष छोटा सा लो फ्रीक्वेंसी इंफ्रारेड डिवाइस घोड़ों मे इंजेक्ट किया गया है, जिसके माध्यम से हर पशु की पहचान तो हो ही रही है, जबकि उसकी पूरी ट्रैकिंग भी की जा रही है।

हर दो महीने में लेना होगा फिटनेस सर्टिफिकेट
रुद्रप्रयाग। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ आशीष रावत ने बताया कि यात्रा मार्ग पर स्वस्थ घोड़े-खच्चर ही संचालित किये जा रहे हैं। यही कारण है कि इस वर्ष बेहद फिट घोड़े ही यात्रा मार्ग पर संचालित हो रहे हैं। यह फिटनेस सर्टिफिकेट मात्र दो महीने के लिए मान्य होगा, दो महीने बाद दोबारा परीक्षण करवा कर फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा।

कोटमा में बनेगा आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल
रुद्रप्रयाग। कालीमठ घाटी के कोटमा गांव में पशुपालन विभाग की भूमि पर करीब 200 घोड़े-खच्चरों की क्षमता वाला आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल प्रस्तावित है। जिसका निर्माण कार्य जल्द शुरू होने जा रहा है। वहीं फाटा में मौजूद पशु अस्पताल में वर्तमान समय में एक समय में करीब 40 घोड़े-खच्चरों का इलाज करने की क्षमता है। यात्रा मार्ग पर घायल या बीमार होने वाले घोड़े-खच्चरों को म्यूल टास्क फोर्स एवं पर्यावरण मित्र रेस्क्यू कर गौरीकुंड तक लेकर आते हैं, जिसके बाद विभाग के रेस्क्यू वाहन में इन्हें फाटा अस्पताल में पहुंचा कर इलाज दिया जाता है।

यात्रा मार्ग में 24 घंटे पानी की आपूर्ति
रुद्रप्रयाग। घोड़े-खच्चरों को केदारनाथ यात्रा मार्ग की कठिन परिस्थितियों एवं ठंडे मौसम में सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन ने 14 चरियां हर एक किलोमीटर की औसतन दूरी पर बनाई हैं। जिसमें से गौरीकुंड गेट के समीप एक चरी में 24 घंटे गर्म पानी उपलब्ध रहता है। इसके अलावा पैदल मार्ग पर भीमबली, जंगलचट्टी, रुद्रा प्वाइंट एवं लिनचोली में चार नई चरियां बनाई जा रही हैं, जिनमें 24 घंटे गर्म पानी उपलब्ध रहेगा।

चेतक भवन में घोड़े और हॉकर कर सकेंगे आराम
रुद्रप्रयाग। जिला प्रशासन की विशेष पहल पर घोड़े-खच्चर एवं उनके संचालकों के लिए विभिन्न स्थानों पर नए-नए शेड एवं डॉरमेट्री निर्माण करवाए हैं। मुख्य पशु चिकित्सक डॉ आशीष रावत ने बताया कि त्रिजुगीनारायण मार्ग पर करीब 300 घोड़े-खच्चरों की क्षमता वाला एक विश्राम शेड तैयार हो चुका है, जबकि गौरीकुंड मार्ग पर में करीब 250 घोड़े-खच्चरों की क्षमता वाला शेड तैयार है। दोनों शेड के साथ घोड़े-खच्चरों के संचालकों के लिए डॉरमेट्री का निर्माण किया जा रहा है, जहां हॉकर विश्राम कर सकेगें। इसके अतिरिक्त नाबार्ड के सहयोग से करीब 10 करोड़ की लागत से गौरीकुंड, लिनचोली एवं रुद्रा प्वाइंट एवं केदारनाथ में शेड एवं आधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्पताल एवं आवासीय परिसर निर्माणाधीन है।

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