बाल मजदूरी कराने में राजधानी देहरादून प्रदेश में सबसे आगे

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर लोगों को किया जागरूक

देहरादून। प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की पहल अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने की थी, जिसका मकसद बाल श्रम को रोकना था। बाल श्रम निषेध मनाने के पीछे एक खास वजह यह थी कि बच्चों को मजदूरी ना कराकर उनको स्कूलों की ओर शिक्षा के लिए प्रेरित किया जा सके। लेकिन आज भी बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो कहीं ना कहीं बाल श्रम करने को मजबूर हैं।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने पहली बार बाल श्रम रोकने का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद साल 2002 में सर्वसम्मति से एक ऐसा कानून पारित हुआ जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध माना गया। बात उत्तराखंड की करें तो सरकार ने बाल श्रम रोकने के लिए कई तरह के जन जागरूकता अभियान के साथ-साथ योजनाएं भी चलाई जा रही है, जिससे बाल मजदूरी को रोका जा सके।
बाल श्रम को लेकर श्रम विभाग सामाजिक संगठनों के साथ-साथ समय-समय पर अभियान चलाकर बाल मजदूरी करने वालों को चिन्हित कर बाल मजदूरों को समाज के मुख्य धारा से जोड़कर बाल मजदूरी करने वाले संस्था के खिलाफ भी कार्रवाई कर रही है। उत्तराखंड में बाल मजदूरी के आंकड़ों की बात करें तो बाल मजदूरी के मामले में देहरादून पहले नंबर पर है।
श्रम विभाग द्वारा वित्तीय साल 2023-24 में पूरे प्रदेश में 118 बाल मजदूरों को चिन्हित कर उनको बाल मजदूरी से मुक्त कराया है, जबकि 87 किशोर श्रमिकों को चिन्हित किया है। श्रम विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2023-24 में देहरादून में 85 बाल श्रमिकों को चिन्हित किया गया है, जबकि 15 किशोर श्रमिक चिन्हित किए गए हैं। इसके अलावा हरिद्वार में 16 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया है, जबकि 43 किशोर श्रमिकों को भी चिन्हित किया गया है।
श्रम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक विभाग द्वारा चिन्हित बाल श्रमिकों को मुक्त करते हुए कुछ संस्थान के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई की गई है। साथ ही सीडब्ल्यूसी के माध्यम से मुक्त कराए गए बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ उनको समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया गया है। बाल श्रम रोकने के लिए समय-समय पर विभाग द्वारा छापेमारी अभियान चलाकर बाल श्रमिकों को चिन्हित किया जाता है।

चंपावत में एक किशोर को किया मुक्त
देहरादून। पौड़ी गढ़वाल में एक बाल श्रमिक को मुक्त कराया गया है, जबकि चार किशोर श्रमिक चिन्हित किए गए हैं। नैनीताल जनपद में 7 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है, जबकि 17 किशोर श्रमिकों को चिन्हित किया गया है। वहीं उधम सिंह नगर में 9 बाल श्रमिक मुक्त कराए गए हैं और 7 किशोर श्रमिक चिन्हित किए गए हैं। चंपावत जनपद में केवल एक किशोर श्रमिक को मुक्त कराया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *