चेन्नई में उद्योगपतियों से मिले सीएम धामी

उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023

पार्थसारथी मंदिर में की पूजा अर्चना

देहरादून। उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के सिलसिले में चेन्नई पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि हमारी उत्तराखंड सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सिलसिले में लगातार लोगों से संपर्क कर रही है। हमने पहले दिल्ली में और बाद में इंग्लैंड के लंदन, बर्मिंघम, अबू धाबी और दुबई में इसी तरह का एक शिखर सम्मेलन (इन्वेस्ट उत्तराखंड) आयोजित किया था। अब हम यहां (चेन्नई) आए हैं और हम ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को लेकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं। यहां भी हम लोगों से मिले हैं। सभी लोगों ने निवेश के लिए उत्तराखंड आने की बात कही है। हम आज और लोगों से भी बात करेंगे। ट्रिप्लीकेन, चेन्नई में स्थित भगवान विष्णु के अलौकिक अवतार पार्थसारथी भगवान के पौराणिक मंदिर में पूजा अर्चना की और समस्त प्रदेश वासियों की उन्नति और कुशलक्षेम के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की ।पार्थसारथी मंदिर में भगवान विष्णु के चार अवतारों कृष्ण, राम, नृसिंह और भगवान वराह की पूजा होती है। मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है और इसकी वास्तुकला अद्भुत है। आखिरकार दशकों से अधर में लटकी जमरानी बहुउददेश्यीय बांध परियोजना को केन्द्र सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा मंजूरी दे ही दी गयी। इस परियोजना के पूरे होने पर उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश को बडा फायदा मिलेगा। 14 मेगावाद बिजली उत्पादन क्षमता वाली इस परियोजना से सिर्फ ऊर्जा की स्थिति में सुधार नहीं आयेगा अपितु हल्द्वानी, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर क्षेत्र की पेयजल और सिंचाई संबंधी दिक्कत भी दूर हो जायेगी। वहीं उत्तर प्रदेश के कानपुर, बरेली आदि जिलों में सिंचाई संसाधन और अधिक सदृढ हो सकेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना को मंजूरी दिलाने के भरपूर प्रयास किये। उन्होंने इसकी मंजूरी मिलने पर केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया है लेकिन यह विडम्बना ही है कि हमारे देश के नेताओं को हर महत्वपूर्ण काम की याद तभी आती है जब चुनाव सर पर होते हैं। केन्द्र में बीते दस सालों से भाजपा की सरकार को तथा राज्य में भी 6 साल से अधिक समय से भाजपा सत्ता में लेकिन उसे जमरानी बांध परियोजना को आगे बढाने ना तो याद आई और न ही उसने इसकी जरूरत समझी। अब 2024 के चुनाव जब सामने खडे हैं तब केन्द्रीय मंत्री मंडल समिति ने जमरानी बांध परियोजना पर काम शुरू करने की मंजूरी दी गयी है। दरअसल सत्ताधारी दलो द्वारा चुनावी साला के लिए तमाम ऐसे मामलों की सूची तैयार रखी जाती है जिन्हें अपनी उपलब्धियोंके तौर पर पेश किया जा सके। ऐसा नहीं है कि जमरानी बांध परियोजना कोई नई सोच है। 1960 से इसकी मांग की जा रही थी ऐसा भी नहीं है कि पुष्कर सिंह धामी ऐसे पहले मुख्यमंत्री है जिन्होंने इसकी पहल की है। राज्य की पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा भी इसकी भरपूर कोशिश की गयी लेकिन उन कोशिशों को अंजाम तक नहीं पहुंचाया गया क्योंकि वर्तमान दौर में सेवा की नहीं श्रेय की राजनीति सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी है। अभी केन्द्र सरकार द्वारा नये संसद भवन में पहले सत्र के दौरानलाये महिला आरक्षण को हम एक उदाहरण के तौर पर ले सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बिल पर चर्चा के दौरान हमने अपनी पीठ खुद ही थपथपा दी थी। उनका कहना था उसनेइस बिल को लाने का प्रयास किया और इसने भी प्रयास किया किन्तु कुछ खास काम ऊपर वाले ने मेरे द्वारा किये जाने के लिए मुझे यहां भेजा है यह काम भी मेरे द्वारा ही होना था और अब काम को होने में 10 या 15 साल लग जाए लेकिन भाजपा व प्रधानमंत्री को इसका श्रेय लेने का जो काम करना वह जरूर उन्होंने 2024 से पहल ही करके दिखा दिया। प्रधानमंत्री मोदी इस महिला आरक्षण बिल और जमरानी बांध परियोजना को ले तो हर अच्छे काम के अवसर तय किये जाते है और श्रेय का लाभ कितना मिलेगा का मापदंड सामने रखकर ही हर काम किया जाता है। महिलाओं को आरक्षण कब मिलेगा पता नहीं वहीं परियोजना को पूरा होने में 5 साल का समय लगेगा यह तय है। वह भी तब जब काम निर्बाध होगा। खैर यह भी कुछ कम सुखद अहसास नहीं है कि देश में कुछ हो रहा है वरना पहले की सरकारों ने इसे 48 साल से लटका रखा था।

क्यों विशेष है पार्थसारथी मंदिर?

चेन्नई का पार्थसारथी मंदिर छठवीं शताब्दी में बना वैष्णव मंदिर है। ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर के नाम का अर्थ महाभारत काल और पांडवों, श्रीकृष्ण से जुड़ा है। महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण भगवान पार्थ यानी अर्जुन के सारथी थे। पार्थसारथी मंदिर अर्जुन के सारथी रहे श्रीकृष्ण की उसी भूमिका को बताता है। पार्थसारथी मंदिर का निर्माण पल्लव राजा नरसिंह वर्मन प्रथम ने करवाया था। इस मंदिर में भगवान विष्णु के पांच रूपों के प्रतीक योग नरसिम्ह, राम, गजेंद्र, वरदराजा, रंगनाथ और कृष्ण पार्थसारथी रूपों को दर्शाया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *