पीचिंग कार्य कराए जाने को पार्षद सहित स्थानीय लोगों ने सौंपा ज्ञापन
यूके न्यूज एजेंसी
काशीपुर। लगातार हो रही भारी बारिश से ढेला नदी में आई बाढ़ से हुए कटाव में कई मकानों के नदी में समा जाने के कई दिनों तक कोई जनप्रतिनिधि आपदा पीड़ितों की सुध लेने नहीं पहुंचा। आपदा पीड़ितों की बार-बार गुहार लगाने के 15 दिनों बाद पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ढेला नदी का कटान देखने पहुंचे। जबकि विधायक त्रिलोक सिंह चीमा मौके पर आज तक नहीं पहुंचे। पूर्व विधायक ने कहा कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बात कर पिचिंग कार्य के बारे में कहेंगे।
बता दें कि ढेला नदी में आई बाढ़ व भूमि कटाव से छह मकानों के नदी में समा जाने तथा नागेशवर मंदिर की दीवार नदी में गिरने व क्षति पहुंचने पर जब कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा तो कॉलोनी के लोग पार्षद अब्दुल कादिर के नेतृत्व में पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा से उनके कार्यालय में जाकर मिले थे। उन्होंने विधायक निधि से ढेला नदी पर पिचिंग कार्य कराने संबंधी ज्ञापन उन्हें दिया। लोगों ने चीमा को आपदा पीड़ितों की व्यथा भी सुनाई। पूर्व विधायक चीमा शाम के समय मौके पर पहुंचे तथा कटाव के कारण गिरे मकानों और ढेला से हो रहे नुकसान को देखा। इस दौरान आपदा पीड़ित परिवारों ने भी उनसे मदद की गुहार लगाई। इससे पहले चार दिन पूर्व मौके पर पहुंची मेयर ऊषा चौधरी ने भी बजट का अभाव बताकर गेंद विधायक के पाले में डाल दी थी। पानी के बहाव से क्षतिग्रस्त्र हुए नागेश्वर मंदिर के पुजारी केशव शर्मा का कहना है कि मुसीबत के दौर में कोई भी पीड़ित लोगों की सुनवाई करने को तैयार नहीं है। कॉलोनी के मंगल सिंह भी जनप्रतिनिधियों के रवैये को लेकर आक्रोशित दिखे। कांग्रेस से विधायक पद के प्रत्याशी रहे नरेश चंद्र सिंह और मेयर प्रत्याशी रही मुक्ता चौधरी ने अपने स्तर से कुछ मदद की है। कुछ लोग ढेला नदी पर पिचिंग के लिए पत्थर आदि दे रहे हैं, लेकिन सिचाई विभाग पत्थर लगाने की मजदूरी देने को भी तैयार नही हैं। मानवाधिकार मिशन के अध्यक्ष संजय रावत का कहना है कि सारे नेता मौके की स्थिति देखकर जा चुके हैं, लेकिन कोरे आश्वासन के अलावा किसी ने कुछ नहीं किया।