आज शीतकाल के लिए यमुनोत्री गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट हुए बंद

उत्तराखंड। उत्तराखंड में स्थित चार धाम मंदिरों के कपाट बंद होने का सिलसिला शनिवार से शुरू हो गया है। यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट बंद होते ही चारधाम यात्रा का वर्तमान सत्र सकुशल संपन्न हो गया है। इस साल का यात्राकाल पिछले साल की तुलना में तीस दिन कम होने के बावजूद इन दोनों धामों में इस बार श्रद्धालुओं की दैनिक औसत संख्या 713 बढी है। समान अवधि की तुलना करने पर भी इस बार दोनों धामों में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में लगभग डेढ लाख की वृद्धि हुई है। सबसे पहले शनिवार 2 नवंबर को उत्तरकाशी में स्थित गंगोत्री धाम के कपाट दोपहर 12:14 बजे बंद हुए। उसके बाद भैया दूज के मौके पर आज सुबह 8:30 बजे सेना के बैंड और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन के साथ केदारनाथ के कपाट बंद किए गए। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए। तड़के 4 बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।  भगवान आशुतोष के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप दिया गया। इसके उपरांत विधि-विधान से मंदिर के कपाट सुबह 8.30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद सेना की बैंड धुनों के साथ बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान कर दिया है। सोमवार को डोली रामपुर से रात्रि प्रवास के लिए गुप्तकाशी और मंगलवार को गुप्तकाशी से पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी। जहां पर सभी धार्मिक मान्यताओं के निर्वहन के साथ बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली को छह माह की पूजा के लिए मंदिर में विराजमान किया जाएगा। इस मौके पर बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल, प्रभारी अधिकारी युद्धवीर पुष्पवान, केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, पूर्व अध्यक्ष विनोद शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता देवानंद गैरोला, अरविंद शुक्ला, प्रदीप शुक्ला आदि मौजूद थे।

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