कोविड-19 के संदर्भ में संशोधित निगरानी रणनीति के लिए परिचालन दिशानिर्देश का अनुपालन किया जाए।
जिला स्तर पर इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी रोगियों की निगरानी की जाए।
पर्याप्त संख्या में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी रोगियों की कोविड-19 एवं इन्फ्लुएंजा जांच की जाएं।
साथ ही रोगियों की जानकारी एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी) पोर्टल में अपलोड की जाए।
कोविड-19 प्रबंधन के लिए चिकित्सालय स्तर पर समस्त तैयारियां दुरुस्त रखी जाए।
आम जनमानस में श्वसन स्वच्छता के प्रति जागरूकता करने के लिए तमाम माध्यमों से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।
इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी व गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के लक्षण होने पर चिकित्सकीय परामर्श पर ही दवाइयों का सेवन करे।
केंद्र की आरटी-पीसीआर जांच की सलाह
अपने पत्र में, पंत ने आरटी-पीसीआर जांच की संख्या बढ़ाने और भारतीय सार्स सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इनसाकॉग) प्रयोगशालाओं में जीनोम अनुक्रमण के लिएसंक्रमित पाए गए नमूने भेजने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि देश में नए स्वरूप का समय पर पता लगाया जा सके। भारत में जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) का पहला मामला आने का उल्लेख करते हुए पंत ने इस स्वरूप के बारे में विवरण भी मुहैया कराया। विवरण में कहा गया है कि जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) 2023 के अंत में उभरा और यह सार्स सीओवी-2 के बीए.2.86 (पिरोला) समूह से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका, चीन, सिंगापुर और भारत में जेएन.1 स्वरूप के मामले आए हैं। चीन से उप स्वरूप के सात मामले सामने आए हैं। अन्य देशों में इसकी मौजूदगी की पुष्टि के लिए ज्यादा आनुवंशिक अनुक्रमण डेटा की आवश्यकता है।