एसटीपी के संचालन हुए अनुबंध में शुरूआत से अब तक तमाम तरह की अनियमिताएं पाई गई हैं। इस अनुबंध के हिसाब से निगरानी करने में भी जल संस्थान के अधिकारी असफल रहे हैं। ऐसे में एसटीपी ने विभाग को कई संदिग्ध बिल भेज दिए, जिनका बिना जांच परख के संस्थान ने भुगतान भी कर दिया।
ऐसे में एडीएम ने संबंधित विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी विभागीय जांच की संस्तुति की है। इसके अलावा दुर्घटना के लिए जिम्मेदार कर्मियों पर भी कार्रवाई के लिए कहा है। जांच रिपोर्ट के अनुसार एसटीपी संचालन और मेंटेनेंस के लिए कंपनी की ओर से जल संस्थान को प्रस्तुत किए गए बिल संदिग्ध हैं।
ये सभी बिल बढ़ा-चढ़ाकर बनाए गए हैं। ऐसे में इन सभी बिलों की जांच की जाएगी। साथ ही जिन अधिकारियों व कार्मिकों ने बिलों का भुगतान किया उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने को भी एडीएम ने लिखा है। एडीएम ने जांच में पाया है कि प्लांट का संचालन करने में विद्युत विभाग और जल संस्थान के अधिकारियों के बीच आपसी सामंजस्य की भी कमी थी। इसी के चलते यह भीषण हादसा हुआ। इनके खिलाफ कानून के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।
प्लांट में सारा काम हवा हवाई चल रहा था। इस प्लांट को वह व्यक्ति देख रहा था जो ज्वाइंट वेंचर का अधिकृत अधिकारी या कर्मचारी ही नहीं था। जिन मशीनों के संचालन के लिए तकनीकी दक्ष कर्मियों की जरूरत होती है वहां संस्कृत और सामान्य बीए पास कर्मियों को रखा गया। एसटीपी का बिजली का बिल हर महीने बीपीएल परिवार से भी कम आ रहा था। लेकिन न तो ऊर्जा निगम ने इसकी जांच की न ही जल संस्थान ने इसका संज्ञान लेने की जरूरत समझी।